हम करें राष्ट्र आराधन...आराधन ॥२॥
तन से मन से धन से
तन मन धन जीवन से
हम करें राष्ट्र आराधन...आराधन
अंतर से मुख से कृति से
निश्छल हो निर्मल मति से
श्रद्धा से मस्तक नत से
हम करें राष्ट्र अभिवादन...अभिवादन
हम करें राष्ट्र आराधन - ४
तन से मन से धन से
तन मन धन जीवन से
हम करें राष्ट्र आराधन - ३
आराधन...करें राष्ट्र आराधन
अंतर से मुख से कृति से
निश्छल हो निर्मल मति से ॥२॥
श्रद्धा से मस्तक नत से
हम करें राष्ट्र अभिवादन - २
हम करें राष्ट्र आराधन - २
आराधन...हम करें राष्ट्र आराधन
अपने हँसते शैशव से
अपने खिलते यौवन से ॥२॥
प्रौढ़ता पूर्ण जीवन से
हम करें राष्ट्र का अर्चन - २
हम करें राष्ट्र आराधन - २
आराधन...हम करें राष्ट्र आराधन
अपने अतीत को पढ़कर
अपना इतिहास उलटकर ॥२॥
अपना भवितव्य समझकर
हम करें राष्ट्र का चिंतन - २
हम करें राष्ट्र आराधन - २
आराधन...हम करें राष्ट्र आराधन
है याद हमे युग-युग की
जलती अनेक घटनाऐं
जो माँ की सेवा पथ पर
आई बनकर विपदाऐं
हमनें अभिषेक किया था
जननी का अरि शोणित से
हमने शृंगार किया था
माता का अरिमुंडो से
हमने ही उसे दिया था
सांस्कृतिक ऊच्च सिंहांसन
माँ जिस पर बैठी सुख से
करती थी जग का शासन
अब काल-चक्र की गति से
वह टूट गया सिंहांसन
अपना तन मन धन देकर
हम करें राष्ट्र आराधन - ४
तन से मन से धन से
तन मन धन जीवन से
हम करें राष्ट्र आराधन - ३
आराधन...हम करें राष्ट्र आराधन
हम करें राष्ट्र आराधन - ३
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