Tuesday, September 5, 2006

दैनिक जागरण ने बाजी मारी, भास्कर दूसरे स्थान पर

राष्ट्रीय पाठक अध्यन समिति (National Readership Studies Council) ने राष्ट्रीय पाठक सर्वेक्षण (National Readership Survey, NRS) २००६ के मुख्य बिन्दू प्रस्तुत किये हैं जिनमें से कुछ रोचक तथ्य:


  • शहरी और ग्रामीण इलाको में पाठकों की संख्या लगभग बराबर - क्रमशः ४५% व १९% जनसंख्या में पैंठ

  • साक्षरता में हल्की सी बड़ोतरी - १.२ शुद्ध प्रतिशत[]

  • रेडिओ माध्यम में सर्वाधिक वृद्धि - ४ शुद्ध प्रतिशत

  • नियमित सिनेमा जाने वाले व्यक्तिओं की संख्या में तीव्र कमी (यद्यपि शहरों मे बढ़ोतरी) - पिछले वर्षों की तरह

  • मोबाईल उपकरणों में विशेष शुल्कयुक्त सुविधाओं के उपयोग में वृद्धि - १.६ शुद्ध प्रतिशत

  • अंतर्जाल उपयोगकर्ताओं की संख्या में नियमित वृद्धि परंतु ग्रामीण भारत पिछड़ा

  • भारतीय भाषाओं की पत्र-पत्रिकाओं में तीव्र बढ़ोतरी, अंग्रेजी भाषी पाठक आधार स्थिर

  • दैनिक जागरण २.१२ करोड़ और दैनिक भास्कर २.१ करोड़ के साथ दौड़ मे आगे

  • टाईम्स ऑफ़ इंडिया ७४ लाख, द हिन्दु ४० लाख, व हिन्दुस्तान टाईम्स ३८ लाख के साथ अंग्रेजी भाषी दौड़ में आगे

  • हिन्दी पत्रिकाओं में सरस-सरिल और ग्रहशोभा ७१ व ३८ लाख पाठक संख्या के साथ क्रमशः पहले और दूसरे स्थान पर


५ करोड़ सुविधा संपन्न हिन्दीभाषी कोई पत्र-पत्रिका नही पढ़ते - क्यों?
३५ करोड़ साक्षर लोग कोई पत्र-पत्रिका नही पढ़ते - कौन जिम्मेदार? समय, पैसा, विषय वस्तु या आदत?

कुल मिलाकर हल्की सी उन्नति पर ज्यादा खुशी की बात नही।
(समस्त सांख्यिकी उपरोक्त लेख की मेरी व्याख्या पर आधारित, ऋटि क्षमा)

----------
[]↑ यदि १०० में से किसी संख्या की वृद्धि २० से ३० होती है तो वृद्धि (३०*१००/१००)-(२०*१००/१००)=१० शुद्ध प्रतिशत होती है। सामान्य प्रतिशत के माप में ये वृद्धि ((३०-२०)*१००)/२०=५० प्रतिशत है। किसी को सरल नाम अथवा वर्णन आये तो बताईयेगा।

Book Review - Music of the Primes by Marcus du Sautoy (2003)

I can say, with some modesty, that I am familiar with the subject of mathematics more than an average person is. Despite that I hadn’t ever ...