अब मैंने तो जिंदगी में कोई कविता लिखी नही कि अपनी कविता यहाँ उद्धृत कर सकूँ, तो आप सभी को किसी और के द्वारा रचित मेरी पसंद की ही कविता से काम चलाना पढ़ेगा! इसी के साथ इंसान की आपसी विध्वंसक गतिविधियों के विरूद्ध मिल-जुल कर अपना भविष्य निवारने की आशा में समर्पित...
धरती की शान...
धरती की शान, तू भारत की संतान, तेरी मुठ्ठिओं मे बंद तूफ़ान है रे,
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत, मनुष्य तू बड़ा महान है ॥२॥
तू जो चाहे पर्वत-पहाड़ों को फोड़ दे, तू जो चाहे नदियों के मुख को भी मोड़ दे,
तू जो चाहे माटी से अमृत निचोड़ दे, तू जो चाहे धरती को अंबर से जोड़ दे,
अमर तेरे प्राण...
अमर तेरे प्राण, मिला तुझको वरदान, तेरी आत्मा में स्वयं भगवान है रे,
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत, मनुष्य तू बड़ा महान है।
नैनो में ज्वाल, तेरी गति में भूचाल, तेरी छाती मे छिपा महाकाल है,
पृथ्वी के लाल, तेरा हिमगिर सा भाल, तेरी भृकुटि में तांडव का ताल है,
निज को तू जान...
निज को तू जान, जरा शक्ति पहचान, तेरी वाणी में युग का आव्हान है रे,
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत, मनुष्य तू बड़ा महान है।
धरती सा धीर तू है, अग्नि सा वीर तू जो चाहे तो काल को भी थाम ले,
पापों का प्रलय रुके, पशुता का शीष झुके, तू जो अगर हिम्मत से काम ले,
गुरू सा मतिमान...
गुरू सा मतिमान, पवन साधु गतिमान, तेरी नभ से भी ऊँची उड़ान है रे,
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत, मनुष्य तू बड़ा महान है।
धरती की शान, तू भारत की संतान, तेरी मुठ्ठिओं मे बंद तूफ़ान है रे,
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत, मनुष्य तू बड़ा महान है।
Manushya Tu Bada M... |
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