Sunday, July 23, 2006

मनुष्य तू बड़ा महान है

हिन्दी चिठ्ठाजगत में विचरण करते अब मेरे लगभग दो महीने पूरे हो गये हैं और मुझे सबसे आश्चर्यमयी और अनपेक्षित बात ये लगी कि आधे से ज्यादा लेखक यहाँ कवि है। निश्चित ही ये अनुपात हिन्दी भाषी जनता में कवियों के अनुपात से अत्याधिक है। यही नही, परिचर्चा के कविता बुनो धागे में भी लोग ऐसी ऐसी रचनाये स्वतः ही लिख जाते है कि मुझ जैसे काव्य-अनभिज्ञ को ये लगता है कि मैं किन साहित्य के महानुभवों के बीच आ फँसा! अभी तो केवल यही कारण समझ में आता है कि कविजन चिठ्ठे की और अधिक आकर्षित होते हैं क्योंकि शायद उनहे अपने काव्य के श्रोतागण मिल जाते हैं और प्रशंसकगणों का विस्तार बढ़ जाता है। दूसरा खयाल यह है कि जैसे प्रेम कथित रूप से इंसान को शायर बना देता है, उसी तरह चिठ्ठा चिठ्ठेकार को कवि बना देता है! किसी को इस विषय पर शोध करना चाहिये। कोई और व्याख्या है क्या?

अब मैंने तो जिंदगी में कोई कविता लिखी नही कि अपनी कविता यहाँ उद्धृत कर सकूँ, तो आप सभी को किसी और के द्वारा रचित मेरी पसंद की ही कविता से काम चलाना पढ़ेगा! इसी के साथ इंसान की आपसी विध्वंसक गतिविधियों के विरूद्ध मिल-जुल कर अपना भविष्य निवारने की आशा में समर्पित...

धरती की शान...
धरती की शान, तू भारत की संतान, तेरी मुठ्ठिओं मे बंद तूफ़ान है रे,
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत, मनुष्य तू बड़ा महान है ॥२॥

तू जो चाहे पर्वत-पहाड़ों को फोड़ दे, तू जो चाहे नदियों के मुख को भी मोड़ दे,
तू जो चाहे माटी से अमृत निचोड़ दे, तू जो चाहे धरती को अंबर से जोड़ दे,
अमर तेरे प्राण...
अमर तेरे प्राण, मिला तुझको वरदान, तेरी आत्मा में स्वयं भगवान है रे,
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत, मनुष्य तू बड़ा महान है।

नैनो में ज्वाल, तेरी गति में भूचाल, तेरी छाती मे छिपा महाकाल है,
पृथ्वी के लाल, तेरा हिमगिर सा भाल, तेरी भृकुटि में तांडव का ताल है,
निज को तू जान...
निज को तू जान, जरा शक्ति पहचान, तेरी वाणी में युग का आव्हान है रे,
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत, मनुष्य तू बड़ा महान है।

धरती सा धीर तू है, अग्नि सा वीर तू जो चाहे तो काल को भी थाम ले,
पापों का प्रलय रुके, पशुता का शीष झुके, तू जो अगर हिम्मत से काम ले,
गुरू सा मतिमान...
गुरू सा मतिमान, पवन साधु गतिमान, तेरी नभ से भी ऊँची उड़ान है रे,
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत, मनुष्य तू बड़ा महान है।

धरती की शान, तू भारत की संतान, तेरी मुठ्ठिओं मे बंद तूफ़ान है रे,
मनुष्य तू बड़ा महान है, भूल मत, मनुष्य तू बड़ा महान है।


Manushya Tu Bada M...


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