Thursday, July 27, 2006

ब्रह्मांड का अंत: क्या जानना आवश्यक?

कैसी मौत चाहेगें आप? धीमे धीमे फैलते अंतरिक्ष में ठंडे हो कर "बिग चिल" से मरना, या फिर तपाक से सिकुड़ते ब्रह्मांड मे ऊष्मा से पिघल कर "बिग क्रंच" से? या फिर कहिये तो तेजी से विस्तारित होते संसार के साथ तुरंत विस्फोटक ढंग से अ‍त? अथवा आप उन आशावादी लोगो मे से है जो विश्‍वास करतें है कि ठंडे संसार मे इंसान अणु-परमाणुओं से बने धूल के अंतहीन गुब्बारे की तरह, या फिर गर्म संसार मे अनंत ऊर्जा की उपलब्धि से निर्मित काल्पनिक दुनिया (virtual reality) में अपना अस्तित्व बनाये रख सकेगा। और कुछ नही तो आप सोचते होगें कि तकनिकी प्रगति हमें इस ब्रह्मांड से निकाल कर दूसरे ब्रह्मांड मे जाने का मार्ग सुझा देगी, शायद वर्महोल (wormhole) द्वारा? नही तो आप शायद उन निराशावादी लोगों मे से हैं जो ये मानते हैं कि मानव का अंत ब्रह्मांड के अंत से पहले हो जायेगा, जैसे की मानव जाति प्राकृतिक ढंग से लुप्त हो जायें अथवा हम लोग आपस मे ही मर-खप जायें? (मुझे इसी श्रेणी में गिनिये)

क्या यह जरूरी है इन प्रश्‍नों को पूछना? या इनका उत्तर जानना? क्या हमें चिंता है कि हमारे पर-पर-...पुत्रों-पुत्रियों का क्या होगा? क्या होनी चाहिये? ब्रह्मांड शास्त्र (cosmicology) का अस्तित्व क्यों है फिर? अंत में, क्या मानव अपनी बुद्धी की वज़ह से शापित है कि जानकर भी कि कुछ हल नही निकलेगा, कि कुछ हम करें - या ना करें - कुछ बदल नही पायेगा, फिर भी हम मज़बूर हैं इन प्रश्‍नों को सोचनें कि लिये, और शायद बिना जाने ही नष्ट हो जाने के लिये? क्या ज़रूरत से ज्यादा अकंलमंदी शाप है?

संदर्भ: क्या ब्रह्मांड का अंत आवश्यक?

Breaking the Bias – Lessons from Bayesian Statistical Perspective

Equitable and fair institutions are the foundation of modern democracies. Bias, as referring to “inclination or prejudice against one perso...