Saturday, February 17, 2007

जो समर में हो गये अमर


जो समर में हो गए अमर, मैं उनकी याद में
गा रही हूँ आज श्रृद्धागीत, धन्यवाद में

जो समर में हो गए अमर...

लौट कर ना आएंगे विजय दिलाने वाले वीर
मेरे गीत अंजली में उनके लिये नयन-नीर
संग फूल-पान के
रंग हैं निशान के
शूर-वीर आन के

विजय के फूल खिल रहें हैं, फूल अध-खिले झरे
उनके खून से हमारे खेत-बाग-बन हरे
घ्रुव हैं क्राँति-गान के
सूर्व नव-विहान के
शूर्य-वीर आन के

वो गए कि रह सके, स्वतंत्रता स्वदेश की
विश्व भर में मान्यता हो मुक्ति के संदेश की
प्राण देश-प्राण के
मूर्ति स्वाभिमान के
शूर-वीर आन के

जो समर में हो गए अमर, मैं उनकी याद में
गा रही हूँ आज श्रृद्धागीत, धन्यवाद में


Jo Samar Mein Ho G...


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