Thursday, August 31, 2006

पायलट कॉकपिट के बाहर फँसा

क्या ऐसा संभव है कि मौत सामने खड़ी हो पर आप हँसी रोक ना सकें? शायद ऐसी ही कुछ अवस्था हुई होगी एयर कनाडा के ओट्टावा से विनिपेग जाते यात्रियों के साथ जब मंजिल से बीस मिनिट शेष रहते उनके पालयट जी को "गाना गाने" की जरूरत पड़ी। "काम" तो सीधा सा ही था पर काम के बाद बीच हवा में कॉकपिट का दरवाजा बंद हो गया। मतलब कि कॉकपिट में उपपायलट और एक परिचारिका तो थे पर दरवाजा ना जाने कैसे फँस गया। पायलट साहब दस मिनिट तक दरवाजा ठोकते रहे पर केबिन का दरवाजा टस से मस ना हुआ। अंत में यात्रियों की मदद से दरवाजे को ही हिंजों से ही हटाया गया और सभी ने चैन की साँस ली।

गौरतलब है कि उपपायलट हवाईजहाज उतार सकता था तो मौत का सीधा खतरा तो नही था। पर अगर कॉकपिट के दरवाजे को बाहर से ही खोला जा सकता हो तो फिर आतंकवादी क्या करेंगे? खैर ऐसी भी बात नही क्योंकि बाहर से तभी खोला जब अंदर से भी खुला था, पर यदि ऐसा था तो क्या पायलट दरवाजा खुला रख के बाहर जाता है? बहुत 'कंन्फ़्यूज़न' है भैया!

(समाचार, साभार)

Breaking the Bias – Lessons from Bayesian Statistical Perspective

Equitable and fair institutions are the foundation of modern democracies. Bias, as referring to “inclination or prejudice against one perso...