Wednesday, August 30, 2006

मूर्खता के नियम

हमेशा ही, बिना अपवाद के, किसी भी समूह में कोई मूर्खों की संख्या कम ही आंकता है।

यह है बर्कले (Berkeley) स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (University of California) में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर कार्लो किपोला (Carlo M. Cipolla) द्वारा मानवीय मूर्खता पर अध्यन कर बनाये गये नियमों में से पहला मूल सिद्धांत। [कड़ी साभार]

कोई आइंस्टाईन भी क्यों ना हो, उसने कभी ना कभी तो मूर्खता की ही है। कहा जाता है कि प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री आईज़क न्यूटन ने भी अपने घर के दरवाजे पर अपनी बिल्ली और उसके बच्चों के लिये एक बड़ा और कई छोटे छेद कर रखे थे ताकि वो अंदर-बाहर आ-जा सकें। हम चाहें ना चाहें मूर्खता इंसान की पृवत्ति है, यद्यपि अधिकतर लोगों के लिये ये हँसी या थोड़ी तकलीफ का साधन होती है, इनकी तरह कुछ लोग मूर्खता की मिसाल कायम कर देते हैं। और सभी जानते हैं कि दुनिया की सारी गलतियाँ सिवाय आपके अन्य "स्टुपिड" लोगों के महत्वपूर्ण औहदों पर होने से ही होती है, हैं ना?

मुर्खता के पहले नियम के अनुसार आप कभी भी मूर्खों की संख्या सही आंक ही नही सकता क्योंकि कहीं ना कहीं कोई ना कोई तो ऐसा निकल ही जायेगा जो आपके अनुमान से बड़कर अपनी मूर्खता से आपको चौंका ही देगा। मुर्खता का दूसरा नियम इस प्रश्न को जवाब देता है कि क्या कुछ समूह अन्य समूहों से कम मूर्ख होते हैं। यानि कि:
किसी व्यक्ति के मूर्ख होने की संभावना उस व्यक्ति की किसी अन्य पृवत्ति से पूर्वतः स्वतंत्र होती है।

अर्थात नोबेल पुरस्कार विजेता और देहाती दोनो के मूर्ख होने की संभावना समान होती है। मुर्खता का तीसरा नियम मूर्ख व्यक्ति को पारिभाषित करता हुआ कहता है कि:
मूर्ख वह है जो कि किसी वस्तु, व्यक्ति या समूह को नुकसान पहुँचाता है, जबकि उसे खुद कोई फायदा नही होता, बल्कि शायद नुकसान ही होता है।

इसी कारण आप किसी के मूर्ख व्यवहार को कभी समझ ही नही सकते। सिर्फ अपने बाल नोचने के ये सोचना समझदार व्यक्तियों के लिये असंभव हो जाता कि कथित मूर्ख ऐसा कर ही क्यों रहा है। और चूँकि मूर्ख बिना लाभ के आपको नुकसान पहुँचाता है, अधिकतर अनजाने में, उनसे बचना भी मुश्किल होता है क्योंकि आप पहले से सोच ही नही सकते कि कोई ऐसी हरकत भी करेगा। प्रो. कार्लो उस व्यक्ति जो आपका और खुद का नुकसान करता है और उस व्यक्ति जो खुद का नुकसान कर आपका फायदा करता है में अंतर बताते हुऐ चौथा मौलिक नियम बताते है:
अमूर्ख व्यक्ति मूर्खों से होने वाले नुकसान का अंदाज़ नही लगा पाते और हमेशा भूल जाते हैं कि किसी भी समय, अवसर और परिक्षेप में मूर्खो से जुड़ना नुकसान के सिवाय कुछ नही लाता।

मूर्ख बिना लाभ के नुकसान पहुँचाता है, उनसे बचना भी मुश्किल होता हैपाँचवा और अंतिम मूर्खता का नियम मूर्खता के सामाजिक प्रभाव के बारे में कहता है कि:
एक मूर्ख व्यक्ति दुनिया में सबसे ज्यादा खतरनाक होता है।

चूँकि पहले नियमानुसार समस्त समूहों में मूर्खों की संख्या समान होती है, एक विकसित और पतित समुदाय में अंतर सिर्फ यह है कि मूर्खों को कितनी शक्तिशाली स्तरों पर बिठा रखा है। है ना मजेदार विश्लेषण?

Book Review - Music of the Primes by Marcus du Sautoy (2003)

I can say, with some modesty, that I am familiar with the subject of mathematics more than an average person is. Despite that I hadn’t ever ...