Wednesday, August 23, 2006

चींटी और टिड्डे की कहानी

बहुत पहले की बात है...

चींटी तमतमाती गर्मी में काम करती रहती, घर बनाती, खाना इकट्ठा करती। टिड्डा सोचता चींटी मूर्ख है, वो उसका मजाक बनाता और सारी गर्मी नाचता-गाता मस्ती से गुजारता। जब सर्दी आई तो चींटी अपने घर में आराम से सुरक्षित और गर्म रहती और खूब खाती। दूसरी और टिड्डा ना खाना ढूँढ पाता ना जगह और ठंड के मारे मर जाता।

फिर समय बदला। धरती पे इंसान आये, सभ्यता आई, समाज जन्मा, लोकतंत्र आया, और...

चींटी तमतमाती गर्मी में काम करती रहती, घर बनाती, खाना इकट्ठा करती। टिड्डा सोचता चींटी मूर्ख है, वो उसका मजाक बनाता और सारी गर्मी नाचता-गाता मस्ती से गुजारता।

जब सर्दी आई तो कंपकंपाते टिड्डे नें एक पत्रकार-सम्मेलन बुलाया और सबको दिखाया कि क्यों ऐसा अन्याय सहा जाये कि चींटी तो अपने घर में आराम से बैठे और खाये और बाकी लोग सर्दी से मरें? एन. डी. टी. वी., आज तक, बी. बी. सी. सभी ने कांपते-ठिठुरते टिड्डे के बगल में आराम से रहती चींटी के चित्र दिखाये। इंडिया टी. वी. ने चींटी के खिलाफ आंदोलन छेड़ने के लिये सभी से एस. एम. एस. भेजने को कहा और सी.एन.एन. ने इस विषय पर जनता की राय जानने के लिये दिल्ली में घूम कर अखिल-भारतीय सर्वेक्षण करा। सारी दुनियाँ भौंचक्की रह गई संपन्नता के विभाजन से। सारे चिठ्ठों पर बहस छिड़ गई कि ऐसा अपमान कैसे सहा जा सकता है, क्यों बिचारा टिड्डा इतना दुख सहे?

अरूंधती राय ने चींटी के घर के सामने धरना डाल दिया। राजनीतिक पार्टीयाँ सड़को पे निकल आई और बसें और दुकाने फूँकने लगी। विद्यार्थी आत्मदाह की धमकी देने लगे। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन और कोफी अन्नान नें टिड्डे के जीवन के मूलाधिकारों का हनन होने पर भारत सरकार को डाँट लगाई। तीन दिन लोक सभा भंग रही और विपक्ष वालों गृहमंत्री के इस्तीफे की माँग करी। वामदलों ने पश्चिम बंगाल और केरला में भारत बंध की घोषणा करी और उच्चस्तरीय न्यायिक जाँच की माँग की। अंतर्जाल पे टिड्डे के अधिकारों की रक्षा के लिये निवेदनों की भीड़ लग गई।

अंत में जाँच समिती टिड्डे के विरुद्ध आतंक के विरोध में एक कानून बनाती है जिसे सर्दी के शुरू से लागू किया जाता है। चींटी को इस कानून के तहत जेल भेज दिया जाता है और उसकी संपत्ति जब्त कर ली जाती है। प्रधानमंत्री चींटी का घर एक भव्य समारोह में सारे टी.वी. और अखबारों के सामने टिड्डे को भेंट कर देते हैं।

अरूंधती राय इसे न्याय की जीत बताती है, पत्रकार टिड्डे इंटर्व्यू लेने के लिये लाईन लगा लेते हैं, इंडिया टी.वी. वाले बधाई के एस.एम.एस. मँगवाते है और कोफी अन्नान टिड्डे को संयुक्त राष्ट्र की सभा संबोधित करने का निमंत्रण देता है।

Breaking the Bias – Lessons from Bayesian Statistical Perspective

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